साहित्य चर्चा साक्षात्कार
डॉ . मीरा रामनिवास वर्मा मूल रूप से राजस्थान की हैं लेकिन भारतीय पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद गुजरात के गांधीनगर में अब बस गईं हैं। यहां प्रस्तुत है राजीव कुमार झा से उनकी बात बातचीत…
प्रश्न –हाल में आपकी जिस पुस्तक का प्रकाशन हुआ है , उसके बारे में बताएं?
उत्तर –दिसंबर 2023 में मेरा नया काव्य संग्रह “सागर को कुछ कहना है ” प्रकाशित हुआ है।
‘ सागर को कुछ कहना है’ पुस्तक में आप पढ़ेगें मेरी जीवन यात्रा की अनुभूतियां,बचपन की मधुर यादें और सामाजिक विसंगतियों से उपजे एहसास।कविताओं में मन को मथते बदलते सामाजिक मूल्य ,भौतिक विकास में शहीद हुई प्रकृति , भीख मांगते बच्चे ,किसान,और मजदूर के दुख दर्द एवं सतत गतिशील रहते सागर की व्यथा।
प्राकृतिक सौंदर्य सूरज, चांद की आवाजाही पेड़ ,पंछी, फूल, पत्ते, मौसमों के सुंदर रुपों ने मुझे लुभाया है। प्रकृति का निश्चल प्रेम व संदेश,मुझे भाया है।माता पिता से जुड़ी बचपन की मधुर यादों ने, मां के प्यार दुलार की बातों ने मुझे शब्द दिए हैं।
‘सागर को कुछ कहना है’काव्य कृति मानवीय मूल्य, प्रकृति प्रेम, पंछियों के छूटते घर जंगल,बदलता मानवीय व्यवहार और गुम होते संस्कारों का दस्तावेज है।
कविताओं में पूर्वजों की तरह सरल मन रहने,सबसे निर्मल प्रेम करने,आस – परिवेश के प्रति संवेदनशील बने रहने,प्रकृति और सृष्टा के प्रति कृतज्ञता जताने का संदेश समाया है।
प्रश्न –आपने कविता और कहानी इन दोनों विधाओं में लेखन किया है? साहित्य लेखन से विधागत स्तर पर लेखक के संबंध को किस तरह की बातें प्रभावित करती हैं?
उत्तर– तत्कालीन सामाजिक परिवेश लेखक को प्रभावित करता है।समाज में रहते हुए कुछ अनुभूतियां मन को मथती हैं मन पर गहरी छाप छोड़ देती हैं।कुछ विसंगतियां,कुछ यथार्थ,कुछ संघर्ष,संवेदना बनकर कविता या कहानी के रुप में कागज पर उभरते हैं।
प्रश्न — वर्तमान परिवेश के यथार्थ को कहानी और कविता का रूप देते हुए जीवन की किन बातों ने आपको सदैव विचलित बनाए रखा?
उत्तर–वर्तमान परिवेश ने मनुज को जीवन मूल्यों से परे कर दिया है।मानव भौतिकता की अंधी दौड़ में भाग रहा है।मानव का बदलता स्वरुप सामाजिक विसंगतियां पैदा कर रहा है।रिश्तों का निर्वहन ,आपसी सद्भाव कम होता दिखाई दे रहा है।बुजुर्गों के प्रति सम्मान का अभाव,महिलाओं और बच्चों के प्रति हिंसा सदा विचलित करती है।
कांक्रीट के विकसित होते जंगल चिंतित करते हैं।
प्रश्न :आप राजस्थान के भरतपुर की हैं। अब गुजरात में रहती हैं।यहां के जनजीवन की विशेषताओं पर प्रकाश डालें
उत्तर :गुजरात की भूमि पर द्वारिका पुरी ,
सोमनाथ, अबांजी शक्तिपीठ धर्मस्थल स्थित हैं।यहां के लोग धार्मिक प्रवृत्ति के हैं। शारदीय नवरात्रि में गुजरात की शोभा देखते ही बनती है।
नौ रातों को गुजरात के बच्चे बूढ़े जवान महिला पुरुष साथ मिलकर पांच से लेकर तीस हजार की संख्या में गरबा घूमते हैं। लेकिन कोई अहितकारी घटना नहीं बनती। आस्था और विश्वास और प्रेम से सराबोर गुजराती लोगों के साथ घुलना मिलना,उनका रहन-सहन खान-पान रीति-रिवाज को आत्मसात करना बहुत आसान है।गुजराती लोग व्यवसाय,एवं सहकारी क्षेत्रों में अग्रणी हैं। मौज शौक की प्रवृत्ति है। आनंद करते हैं।यहां महिलाओं के प्रति सहज सम्मान है।जो यहां आता है यहीं का होकर रह जाता है।
प्रश्न:आज के साहित्यिक परिवेश में नारी और दलित लेखन का काफी प्रसार हो रहा है। इन
साहित्यिक धाराओं के लेखकों से आपकी क्या अपेक्षा है?
उत्तर: साहित्य की इन दोनों धाराओं में लेखन कम हुआ है।इन दोनों धाराएं को सामाजिक सोच के दायरे के कारण पहचान पाने में मुश्किल आई है।दलितों के सामाजिक न्याय और अधिकारिता की बात आज भी गले नहीं उतरती। नारी का सशक्त रूप समाज को नहीं भाता। नारी को अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता दिखाना चाहिए । नारी के प्रति समाज की सोच बदलने का संदेश जाना चाहिए।दलितों के हकों और न्याय और मान की बात होनी चाहिए।
प्रश्न: लोकतंत्र के सार्वभौम मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में हमारे देश और यहां के सामाजिक राजनीतिक परिवेश की क्या चुनौतियां हैं?
उत्तर: भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।भारत अपने सार्वभौमिक मूल्यों के कारण विश्वगुरु रहा है। लेकिन आज उन मूल्यों का ह्रास हो रहा है। मानव मन की संकीर्णता एवं निहित स्वार्थ के कारण लोककल्याण का भाव,परोपकार,सेवा कम होने से लोकतंत्र के सामने चुनौतियां आन खडी हैं । धर्म की अवधारणा संकुचित होकर सामाजिक और राजनैतिक ढ़ांचे पर कुठाराघात कर रही हैं। सत्ता पाने के लिए देश प्रेम और संविधान की अवहेलना हो रही है।लोकसेवक जननायक नहीं रहे,देश और देशवासियों से प्रेम करने वाले नेता अब कम हैं।
प्रश्न: युवा रचनाकारों को आप क्या संदेश देना चाहेंगी?
उत्तर: युवाओं को चाहिए वे समाज के समसामयिक परिवेश पर लिखें।देशप्रेम,प्रकृति प्रेम को साहित्य में समावेश करें।सत्यं शिवम् सुंदरम् की परिपाटी को बनाए रखें।संदेश परक साहित्य लिखे।