संजय कुमार साहित्यबंधु अखिल भारतीय साहित्य परिषद् द्वारा सम्मानित

 

लाल बिहारी लाल

नई दिल्ली। राजस्थान में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् श्रीगंगानगर द्वारा गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में ‘सर्व भाषा साहित्यकार सम्मान व गुरुत्व:’ पर विचार गोष्ठी का आयोजन राजकीय सार्वजनिक जिला पुस्तकालय में किया गया। मुख्य अतिथि नगर परिषद सभापति गगनदीप कौर पांडे ने कहा,‘अंधकार से प्रकाश में लाने वाला तत्त्व ही गुरु है।’ मुख्य वक्ता अ.भा.स.प. के प्रांत अध्यक्ष डॉ.अखिलानंद पाठक ने जीवन चर्या विज्ञान पर प्रकाश डालते हुए कहा,सनातन धर्म में गुरु वह विधि है जो सकल ब्रह्मांड में समाहित और चर अचर से तरंगित भगवान् के तत्त्वरूप को व्यक्ति के भीतर प्रकट कर उसे आत्म साक्षात्कार करवाती है।विशिष्ट अतिथि वेदप्रकाश लखोटिया ने सम्मानित होने वाले सभी साहित्यकारों को बधाई दी। युवा साहित्यकार श्री संजय कुमार ‘साहित्यबंधु’ ने अपनी कविता वाचन से पूर्व गुरु के संदर्भ में अपनी चार पंक्तियां कही,

“गुरु को न लघु समझो,
सब इनके पथ पर चलते हैं।
प्रलय और निर्माण, दोनों
इनकी गोद में पलते हैं।।”

इस समारोह में हिंदी,पंजाबी,राजस्थानी,सिंधी तथा संस्कृत के 10 साहित्यकारों को अंगवस्त्र, माला, पुस्तक व सम्मान–पत्र भेंटकर सम्मानित किया गया। जिनमें हिंदी भाषा साहित्यकार सम्मान श्री संजय कुमार ‘साहित्यबंधु’ को दिया गया।उन्होंने अपनी कविता ‘उन्मुक्त गीत’ सुनाकर सभी श्रोताओं को अपने हृदयगत किया।कार्यक्रम शुभ मंगल मंगलम रहा।साहित्यकार मदन अरोड़ा ने आधार व्यक्त किया।

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