कलाकार और उसकी साधना

साक्षात्कार

 

जोधपुर के कलाकार हीरालाल भदरेचा से राजीव कुमार झा की बातचीत।

प्रश्न:चित्रकला की तरफ रुझान कैसे कायम हुआ?

 

उत्तर :1981 से फिल्मी पोस्टर देख के मन में होता था कि मैं भी ऐसी आर्ट बनाऊंगा । मेरे भीतर मान सम्मान पाने के लिए प्रसिद्ध कलाकार बनने की चाहत थी। मेरे अपने अंकल ने प्रोत्साहित किया और बड़े भाई ने भी सपोर्ट किया तो बस मैं बन गया। सुप्रसिद्ध आर्टिस्ट में जो जो मेरे गुरु थे आज मैं उनसे भी बड़ा आर्टिस्ट हूं । ये बात कहने की नहीं है ना मैं कहना चाहता हूं ।

प्रश्न:अपने माता-पिता के बारे में बताइए

उत्तर: पिता जी डाॅ.जीवाराम जी भदरेचा डॉक्टर थे और अपना क्लिनिक चलाते थे ।माता राहु बाई सिलाई बुनाई करती हैं। आज भी टाइम पास के लिए ।

प्रश्न:राजस्थान की कला संस्कृति आपको कैसी लगती है?

उत्तर : राजस्थान कल्चर बहुत ही शानदार है । आर्ट भी अच्छी बनती और लगती है । लाज शर्म भी होती है सबकुछ अच्छा है । राजस्थान कल्चर की आर्ट लोगों का मन मोह लेती है । पर्यावरण भी शुद्ध होता है । पर्यटक भी बहुत पसंद करते हैं ।फिल्में भी आर्ट में बहुत बनीं।

प्रश्न: कला का ज्ञान कैसे मिला?

उत्तर :देखो , ज्ञान मिलता नहीं है ।चुराना पड़ता है ।आर्ट भी कोई सिखाता नहीं आर्ट चुरानी पड़ती है । कोई आर्टिस्ट आर्ट बनाता है तो उनको देखो गहराई तक जाओ सीख जाओगे । सिखाने वाला कोई नहीं मिलेगा । मैं सभी कलाकार के पास जाता और देखता रहता कि कैसे बनाते हैं। और आर्ट तो ईश्वर प्रदत्त होती है। यह किसी में पंचानबे प्रतिशत ईश्वर की देन है और पांच प्रतिशत सीखा है जैसे पोर्टेट में मेरा कोई गुरु नहीं सिर्फ मिनिएचर्स के अलावा किसी भी आर्ट मे मेरा कोई गुरु नहीं है। गोल्ड एम्बोज आर्ट में गुरु हैं ।जहां मैं अभी भी काम करता हूं।

प्रश्न:आपको कलाकार के तौर पर कहां – कहां जाने का अवसर मिला?

उत्तर :जयपुर, जयपुर, बाड़मेर, दिल्ली, चेन्नई, दुबई, काफी जगह मैं कुछ कारणवश गया । ऑनलाइन ऑफलाइन विभिन्न प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुका ।

प्रश्न: अपनी कला साधना और उपलब्धि से आप कितना संतुष्ट हैं?

उत्तर:आज पूरा विश्व मुझे चित्रकार के नाम से जानता है। वैसे मैं सुथार कारपेंटर हूं।
सुथार जाति के लोग लकड़ी का काम करते हैं। आप बढ़ई कह सकते हैं। सुथार मतलब कारपेंटर जांगिड कह सकते हैं । भगवान श्री विश्वकर्मा जी को पूजने वाले जाति के हैं।

प्रश्न:आप अपनी पसंदीदा फिल्मों के बारे में बताइए।

उत्तर: मुझे पुरानी फिल्में पंसद हैं। 1931 में बनी फिल्म ‘आलम आरा से लेकर 1980 तक की बनी फिल्में मुझे पसंद हैं।

प्रश्न:भारत कब और कैसे आए?

उत्तर: मेरा परिवार पाकिस्तान के गांव अलणाबाद में था । जब 1971 मे भारत – पाकिस्तान का युद्ध हुआ तब हम भारत के राजस्थान में जोधपुर शहर में आ बसे।

प्रश्न:अपनी पसंदीदा फिल्मों का पूरा नाम आपने नहीं बताया?

इनमें बहुत से नाम हैं पर अब फिल्में देखने का इतना शौक नहीं है।
1913 मे राजा हरिश्चन्द्र फिल्म बनी । यह भारत की पहली फिल्म गूंगी फिल्म थी। 1931 में बोलती फिल्म आई।
दो बीघा जमीन 1953 और
दो आंखें बारह हाथ 1958 में बनी।
नया दौर 1957 और
काबुलीवाला 1961 में निर्मित हुई।
बहुत सारी और भी फिल्मों के नाम हैं।
सबका नाम बताउंगा तो सुबह हो जाएगी।

प्रश्न: आप कलाकर्म कब करते हैं?

उत्तर: मैं तो रात को दो – तीन बजे तक आर्ट बनाता हूं।
मुझे आर्ट्स से इतना लगाव है।
आर्ट एक ऐसी चीज है जिसमें मन कहीं भटकता नहीं कोई भी मोह माया नहीं मन शांत रहता है।
आर्ट ही जीवन जीने की कला है।
पेंटिंग आर्टिस्ट कोई भी देख लो वो कम ही बोलेगा ।जो ज्यादा बोलता है वो समझो आर्टिस्ट नहीं है। ऐसा जहां तक मेरा मानना है।

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