मतलब भइया जीत जायेंगे, हमको रोज पिलायेंगे !

मतगणना की झलकियां ः

 

सुनील बाजपेई
कानपुर। यहां बेहद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आज सुबह आठ बजे से शुरु हुई चुनाव की मतगणना के दौरान तरह – तरह के नजारे देखने को मिले। कोई परिणाम घोषित होने के पहले ही अपने प्रत्याशी की जय-जयकार करता नजर आया तो कोई हारने की सम्भावना को लेकर भितरघातियों को गालियां बकते। अलबत्ता आज शुरु हुई मतगणना की झलकियां भी कुछ इस तरह से दृष्टिगोटर होती रहीं।

माल खा लिया : जैसे-जैसे मतगणना शुरु हुई। हल्का फुल्का रुझान भी बाहर आने लगा। जिस भी प्रत्याशी के पिछडऩे की सूचना आती। उसके समर्थक चिल्ला पड़ते- फलां ने माल खा लिया । भितरघात करा दिया। इसी लिए। भइया को फलां बूथ से बहुत कम बोट मिले।: भइया जीत जायेंगे, हमको रोज पिलायेंगे: परिणाम के घोषणा होने के पहले ही जिताऊ प्रत्याशियों के अधिकांश समर्थक काफी खुश नजर आये। इसमें से तो कुछ -भइया जीत जायेंगे, हमको रोज पिलायेंगे जैसे नारे भी लगाने से नहीं चूक रहे थे।

काला पानी भिजवा देंगे:

आज मतगणना के दौरान सबसे ज्यादा मतवाले भाजपा के समर्थक प्रत्याशी दिखाई पड़े, जो भी पुलिस वाला इन्हें शोर मचाने से मना करता। वे आक्रामक हो उठते और धमकी भरे अन्दाज में कहते- योगी – मोदी का राज है। ज्यादा तेवर दिखाओगे तो काला पानी भिजवा देंगे। उनसे कहकर सस्पेंड करा देंगे। इस चक्कर में एक सिपाही ने एक समर्थक को अपने हिसाब से गरम दिया, जिसके बाद वह पुलिस वालों को गालियां बकता हुआ चला गया।

अब किन्नर की बारी:
यहां सम्पन्न कराये गये लोकसभा चुनाव से जिनका कोई खास मतलब नहीं था। वे कुछ किन्नर भी हार जीत की चर्चा करते दिखाई पड़े। इनका अपनी ढपली और अपना राग लोगों के आकर्षण का भी केन्द्र रहा। किरन,माया और मोहिनी जैसे किन्नरों का कहना था कि अब तक पौराणिक जातिगत बटवारे के आधार पर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्रों का शासन तो हो चुका और अब इसी क्रम में उनकी वारी है। यही वजह है कि लगभग हर प्रदेश में किन्नर भी राजनीति में सफल हो रहे हैं।

हम नहीं , मौज तो जीतने वाले उढ़ायेंगेः

मतगणना के दौरान हार जीत को लेकर लोगों के बीच जमकर बहस भी हुई। कई बार तो आपस मारपीट की भी नौबत आई। इस बीच कई लोगों का कहना था कि कोउ नृप होय हमें का हानी। उनके मुताबिक मौज हम लोग नहीं बल्कि जीतने वाले उढ़ायेंगे। इसलिए किसी की भी हार – जीत को लेकर आपसी सम्बन्ध खराब करना, आपस में झगड़ना और रंजिश मानना सामाजिक रूप से बहुत मूर्खता पूर्ण कार्य है।

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