बिहार में तेजस्वी यादव का सितारा डूब चुका है!
मंतव्य
राजीव कुमार झा
नीतीश कुमार जब राहुल गांधी के करीब जा रहे थे तो बिहार भाजपा के नेताओं ने उन पर काफी तंज कसा था लेकिन लालू प्रसाद की आलोचना के साथ राजद के नेताओं के साथ सरकार चलाने में वे खुद को जब असमर्थ पाने लगे तो भाजपा के साथ फिर बिहार में फिर उनकी सरकार बन गई। यद्यपि इन सबके बीच ऐसा नहीं था कि राहुल गांधी के पक्ष में देश में माहौल नहीं बन रहा था या भाजपा को
देश में सत्ता से बेदखल करना जरूरी नहीं था लेकिन नीतीश कुमार की राजनीति की अपनी चालें और तौर तरीके रहे जिसने राजनीति में उनको सदैव प्रतिष्ठित किए रखा और बिहार में कांग्रेस के पतन के बाद लालू प्रसाद के पैरों पर सर झुकाने की जगह अटल बिहारी वाजपेयि को समर्थन देकर उनकी सरकार में मंत्री बनकर वह सदैव अपनी हैसियत को बचाने में कामयाब रहे। 2024 के लोक सभा चुनाव भी उनके लिए बेहद सम्मानजनक प्रतीत हो रहे । बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव का
सितारा डूब चुका है। बिहार की राजनीति में अब नीतीश शायद आगामी विधान सभा चुनावों में वे चाणक्य की भूमिका निभाएंगे और उन्हें चंद्रगुप्त की दरकार है।
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में राजनीतिक विश्लेषक कांग्रेस के पक्ष में उभरते नए जन रुझानों के मूल में मोदी सरकार के विरुद्ध दलितों और मुसलमानों में भाजपा सरकार के प्रति कायम होते क्षोभ को मुख्य रूप से करने के रूप में स्थित देख रहे हैं। मुसलमान किसी भी दल के नहीं हैं। मोदी ने भी उनके लिए गांधी की तरह से सबकुछ किया लेकिन वे उनके प्रति दरियादिल नहीं हैं और भाजपा भी दलितों के लिए उनकी सस्ती पैसेंजर रेल गाड़ियों को खत्म करके सारे देश में एसी ट्रेन दौड़ाने वाली पार्टी है। दलित आज भी गरीब हैं वे कर्ज में रहते हैं और गंदे पेशों को करके जिंदगी गुजारते हैं।