आर्टिकल 338- क्यों ज़रूरी ?
संदेशखाली की महिलाओं ने जो आपबीती बताई है वो अगर सच है तो यह काफी डरावना है.;
रिपोर्ट
अजित चौबे
NCST की स्थापना वर्ष 2004 में अनुच्छेद 338 में संशोधन कर और 89वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के माध्यम से संविधान में एक नया अनुच्छेद 338A सम्मिलित कर की गई थी, इसलिये यह एक संवैधानिक निकाय है।
इस संशोधन द्वारा पूर्ववर्ती राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग को दो निम्नलिखित अलग-अलग आयोगों द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था:
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC), और
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग
उद्देश्य: NCST को संविधान के अनुच्छेद 338A के तहत वर्तमान में प्रभावी किसी कानून या सरकार के किसी अन्य आदेश के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों (ST) को प्रदान किये गए विभिन्न सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन की निगरानी का अधिकार दिया गया है। NCST यह आकलन करने के लिये भी अधिकृत है कि ये सुरक्षा उपाय कितनी अच्छी तरह काम कर रहे हैं।
इसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और 3 अन्य सदस्य होते हैं जिन्हें राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुहर के तहत अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा।
इसमें एक महिला सदस्य का होना अनिवार्य है।
NCST के कर्त्तव्य संविधान या किसी अन्य कानून या सरकार के किसी आदेश के अधीन अनुसूचित जनजातियों के लिये प्रदत्त सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जाँच एवं निगरानी करना।
अनुसूचित जनजातियों को उनके अधिकारों और सुरक्षा उपायों से वंचित करने के संबंध में विशिष्ट शिकायतों की जाँच करना।
अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेना और सलाह देना तथा उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना।
आयोग सुरक्षा उपायों के संचालन के बारे में राष्ट्रपति को आवश्यकतानुसार रिपोर्ट प्रदान करेगा।
इन रक्षोपायों के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु संघ या किसी राज्य द्वारा किये जाने वाले उपायों के बारे में ऐसी रिपोर्टों में सिफारिशें करना।
राष्ट्रपति, संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए नियम द्वारा अनुसूचित जनजातियों के संरक्षण, कल्याण, विकास और उन्नति से संबंधित किसी अन्य कृत्य का निर्वहन कर सकेगा।
किसी फिल्म की पटकथा की तरह लिखी गई , संदेशखाली की बेहद शर्मनाक एवं भयावह कहानी जो २०११ से ज़मींदोज़ रखा गया मगर कहते है न जब पाप का घड़ा भर जाता है तो एक न एक दिन टूट के बिखर जाता है , और शायद सत्ता की लालच और मद में चूर सत्ताधारी इंसानियत और मर्यादा को शर्मसार कर दिया है .. और ये सारा खेल चल रहा था उस राज्य में जहाँ की सरपरस्त एक महिला मुख्यमंत्री है … ममता दीदी की ममता के छावं के तले इतनी बड़ा पटकथा उन्ही के नेताओ द्वारा लिखी गई ..
ये वही लोग है जिन्हे वहाँ की जनता चुनके अपनी सुरक्षा और रोज़गार की बागडोर उनके हाथी में दे देते है, मगर वही हाथ उनके दमन तक जा पंहुचा .
पश्चिम बंगाल राज्य के उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट उपखंड में एक गांव है. यह इछामती-रायमंगल मैदान का हिस्सा, जो निचले गंगा डेल्टा में स्थित है.
इस क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा सुंदरबन बस्तियों के साथ लगा हुआ है. गांव की केवल 12.96% जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में रहती है और 87.04% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की कुल जनसंख्या 11,155, जिसमें 5,760 (52%) पुरुष और 5,395 (48%) महिलाएं .
यहां का जो जातीय समीकरण है, वो भी ममता की मुश्किलें बढ़ा सकता है। संदेशखाली में 70 फीसदी के करीब हिंदू हैं, वहीं 30 फीसदी मुसलमान है। वहीं जातियों में बात करें तो एससी समाज के 30.9% लोग हैं, वहीं एसटी वर्ग से 25.9% लोग आते हैं। अब ये समीकरण बीजेपी को आसानी से ममता पर तुष्टीकरण का आरोप लगाने में मदद करता है।
ममता मां..माटी और मानुष वाले नारे के साथ बंगाल की सत्ता में आई थीं, अब वही ‘मां, वहीं माटी और वही मानुष सीएम को चुनौती दे रहा है।
फरवरी 2024 में संदेशखाली में महिलाओं के यौन उत्पीड़न का मामला काफी तूल पकड़ा ., इस मुद्दे पर बीजेपी और टीएमसी आमने-सामने हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इस मामले में महिलाओं ने मीडिया से बातचीत में अब टीएमसी के दफ्तर को कठघरे में खड़ा किया है।
इलाके में टीएमसी नेताओं द्वारा 2011 से यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद सियासत गरमा गई है।
टीएमसी के 13 साल के कार्यकाल में पहली बार ऐसा होता दिख रहा है जब किसी गांव से महिलाओं ने ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के खिलाफ इस स्तर पर बगावत की हो।
महिलाओं ने बताया कि उन्हें पार्टी के दफ्तर में बुलाया जाता था। नहीं जाने पर उनके परिवार के पुरुषों को धमकी दी जाती है। इस मामले में महिलाओं ने संदेशखाली के मास्टमाइंड कहे जा रहे टीएमसी नेता शाहजहां शेख के अलावा शिबू हजारा और उत्तम सरकार के नाम लिए हैं।
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली से महिलाओं की विरोध की एक आवाज ने ममता सरकार की नींद उड़ाकर रख दी है। पहले सिर्फ छोटा सा विवाद माना जाने वाला महिलाओं का विरोध प्रदर्शन अब बंगाल की राजनीति का केंद्र बन चुका है। आलम ये चल रहा है कि हर कोई सिर्फ संदेशखाली जाना चाहता है। बीजेपी को वहां पहुंचना है, कांग्रेस को पीड़ितों से मुलाकात करनी है और मीडिया का कैमरा उस गांव में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुका है।
संदेशखली कहने को एक छोटा सा क्षेत्र है, लेकिन वहां कि महिलाओं की आवाज अब पूरा देश सुन रहा है। बंगाल को लेकर पहले तो सिर्फ ये धारणा थी कि यहां की सियासत में खून है, लेकिन अब जब आम महिलाएं ही सड़क पर उतर सत्ता में बैठे लोगों पर आरोप लगा रही हैं, ये स्थिति बदल सकती है।
अपना दर्द बयां करने वाली इन महिलाओं ने कहा कि टीएमसी की समर्थक हैं, लेकिन इसके बाद भी उनपर जुल्म हो रहा था। कुछ महिलाओं ने आरोप लगाया कि सालों से शिकायत दर्ज कराना चाहती लेकिन पुलिस लिखने को तैयार नहीं होती थी, ईडी ने जब शाहजहां शेख के यहां कार्रवाई के लिए पहुंची और वह फरार हुआ तो इससे उन्हें बोलेन की हिम्मत मिली।
संदेशखाली में तृणमूल नेताओं पर यौन हिंसा महिलाओं के साथ उत्पीड़न का आरोप उसके बारे में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि ” बड़ी संख्या में महिलाएं मुझसे मिलीं और अपनी शिकायत बताई. उन्होंने कहा कि उनके साथ छेड़छाड़ की गई, उन्हें परेशान किया गया और धमकाया गया, उनके पतियों को पीटा गया.”
उन्होंने सरकार को जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें उन्होंने इन बिंदुओं का भी जिक्र किया है: “मुख्य दोषियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए, एक विशेष जांच दल का गठन किया जाए, न्यायिक जांच पर विचार किया जाए, अनुग्रह राशि सुनिश्चित की जाए औरअगर जरूरत हो तो दोषी पुलिस अधिकारियों को स्थानांतरित किया जाए. संदेशखाली में उन्हें परेशान किया गया और धमकाया गया.”
बीजेपी, राष्ट्रीय महिला आयोग और कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संदेशखाली हिंसा मुद्दे पर टीएमसी सरकार को आड़े हाथों लिया.
बता दें कि संदेशखाली में हाल ही में तृणमूल नेता शाजहान शेख और उनके सहयोगियों द्वारा उनके खिलाफ किए गए कथित अत्याचारों के खिलाफ आंदोलन
संदेशखाली में फरवरी के पहले सप्ताह से ही महिलाओं पर यौन अत्याचार और जमीन हड़पने के आरोपों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इस मामले ने पहली बार तब सुर्खियां बटोरीं जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर भीड़ ने हमला कर दिया जब वे कथित राशन वितरण घोटाले की जांच के सिलसिले में 5 जनवरी को शेख के परिसर की तलाशी लेने गए थे.
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली गांव में महिलाओं द्वारा तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहां शेख पर उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है और इसके बाद से ही यह मामला तूल पकड़ रहा है. यौन उत्पीड़न के मामले में पुलिस ने तृणमूल कांग्रेस के नेता शिबू प्रसाद हाजरा को गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि, संदेशखाली में उत्पन्न हुई परिस्थिति को देखते हुए कई पार्टियों के सदस्यों को पुलिस द्वारा गांव में जाने से रोका जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक, एनसीडब्ल्यू, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग जैसे वैधानिक निकायों को वहां जाने की अनुमति दी जा रही है. पुलिस द्वारा केवल राजनीतिक प्रतिनिधिमंडलों को संदेशखाली जाने से रोका जा रहा है. हम यह देखने का इंतजार कर रहे हैं कि क्या उन्होंने धारा 144 बढ़ा दी है क्योंकि अभी तक कोई आदेश नहीं आया है.
संदेशखाली को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने टीएमसी नेता शेख शाहजहां का बचाव किया ,बीजेपी पर सवाल उठाए हैं. ममता बनर्जी ने संदेशखाली मामले को यूपी के हाथरस, उन्नाव, बिलकिस बानो, महिला पहलवानों के केस से जोड़ा. CM ममता ने साथ ही कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले ये कैसी राजनीति है.
ममता बनर्जी ने विधानसभा में कहा कि संदेशखाली में बाहर से आकर बीजेपी के कार्यकर्ता मास्क पहनकर बयान दे रहे हैं. वहां टारगेट एसके शाहजहां था. ED ने सबसे पहले उसे निशाने पर लिया. संदेशखाली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बंकर हैं. वहां, पहले भी दंगे हो चुके हैं.
उन्होंने कहा कि वहां टारगेट एसके शाहजहां था. ED ने सबसे पहले उसे निशाने पर लिया. बीजेपी पर आरोप लगाते हुए ममता ने कहा कि संदेशखाली में बीजेपी बाहर से लोगों को ला रही है. इस मामले में हमने एक्शन लेते हुए एक कमेटी बनाई है
संदेशखाली में सिर्फ महिलाओं के साथ अत्याचार किया बल्कि उनके मछली पालन वाली जमीन भी कब्जा ली थी। यही वजह है जब राशन घोटाले में पहली ईडी की टीम ने पिछले महीने पांच जनवरी को शाहजहां शेख के खिलाफ कार्रवाई को पहुंची तो वहां के लोगों को लगा कि अब अत्याचार से छुटकारा मिला। महिलाओं को हिम्मत मिलने पर उन्होंने प्रदर्शन किया तो आरोप है कि उन्हें शाहजहां शेख के करीब शिबू हजारा ने धमकाया, तो उसके महिलाओं ने गुस्से में पोल्ट्री फार्म को आग के हवाले कर दिया।
पुलिस ने इस मामले के प्रमुख आरोपियों में से एक शिबू प्रसाद हाजरा को गिरफ्तार कर लिया. पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले की एक अदालत ने आज उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया.
संदेशखाली मामले पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुनवाई की। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने संदेशखलीकांड के मुख्य आरोपित तृणमूल नेता शाहजहां शेख को तत्काल गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का भी आदेश दिया है। हाई कोर्ट की सुनवाई पर भाजपा नेता ने ममता सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल पूछा कि क्या अब ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल पुलिस से उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कहेंगी?
अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार की भूमिका पर जताई चिंता
अदालत ने इतने दिनों बाद भी अब तक शाहजहां की गिरफ्तारी नहीं होने को लेकर राज्य सरकार व पुलिस की भूमिका पर गहरी नाराजगी जताई। अदालत ने इसी के साथ टिप्पणी की कि संदेशखाली में जो कुछ भी हो रहा है इस पूरी घटना के लिए शाहजहां शेख जिम्मेदार है। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी टिप्पणी की कि देखते हैं शाहजहां शेख कितना ताकतवर है।
संदेशखाली में 13 साल के लंबे अत्याचार और खौफ के बाद टूटी महिलाओं की खामोशी में सामने आया है