नदी की बहती धार

साहित्य संसार (पुस्तक समीक्षा)

 

प्रधान संपादक:
राजीव कुमार झा
प्रकाशक: आस्था प्रकाशन गृह
89 न्यू राजा गार्डन , मिट्ठापुर रोड, जालंधर ( पंजाब)

दूरभाष: 0181-4627152

मोबाइल नंबर
9814527152
9988016399

ईमेल: asthaprakashangrih@gmail.com
मूल्य: दो सौ पचास रुपए मात्र

Price:250/-

साहित्य और सृजन की अविराम धारा!

पिंकी कुमारी

 

 

वर्तमान दौर में नित्य प्रति साझा साहित्य संकलन के प्रकाशन का समाचार सोशल मीडिया से प्राप्त होता है और इनमें शौकियाई लेखन से जुड़े लेखकों को रचना प्रकाशन का अवसर खास तौर पर मिलता है। इस प्रसंग में प्रधान संपादक के रूप में सुपरिचित लेखक राजीव कुमार झा के संयोजन में प्रकाशित साहित्य संकलन” नदी की बहती धार” में प्रकाशित रचनाओं को पढ़ते हुए वर्तमान समय और समाज की आहट से रूबरू होने का मौका खासतौर पर मिलता है। इसमें सबसे पहले अवध किशोर झा की कुछ कविताएं संकलित हैं। इन कविताओं का प्रकाशन कवि के देहांत के काफी सालों बाद हुआ है और इनमें ग्राम्य परिवेश की नयी – पुरानी अनुभूतियों का समावेश है । यहां के जनजीवन के सुख- दुख के अलावा प्रस्तुत कविताओं में खेत खलिहानों में किसानों के जीवन का यथार्थ अवध किशोर झा की कविताओं को लोक जीवन के प्रामाणिक पाठ का रूप प्रदान करता है। इनमें सभी ऋतुओं और मौसम में ग्राम जीवन की सहज सुंदरता का भी समावेश है।
उत्तराखंड की ऋषिका वर्मा की कविताएं मौजूदा घर परिवार के बदलते परिवेश के बीच नारी जीवन से जुड़े कुछ पुराने सवालों को अपनी संवेदना में समेटती है।
छत्तीसगढ़ की कवयित्री अरुणा अग्रवाल की दस कविताएं इस संकलन में शामिल हैं। इन सभी कविताओं में जगन्नाथ रथयात्रा के माध्यम से देश के पर्व त्यौहार की झांकी और अन्य विषयों के रूप में मनुष्य के मन की उड़ान के रूप में उसके सतरंगी सपनों की ओट में फैली जिंदगी की धूप के साथ जीवन के भटकाव , घर आंगन के आत्मिक रिश्तों के संस्पर्श में सुख – दुख के अवलोकन के बीच मीरा और कृष्ण के स्मरण के रूप में जीवन के प्रति निरंतर आस्था और विश्वास के भाव को कविता की विषयवस्तु में सहजता से प्रस्तुत किया है। इस साहित्य संकलन में रायपुर के कवि अशोक धीवर जलक्षत्री की कविताएं भी पढ़ने को मिलती हैं और उनमें प्रकृति की सुंदरता का वर्णन है। इस संकलन में इन रचनाओं के अलावा दीपक कुमार मंडल की लघुकथाएं भी पठनीय हैं।
अर्चना प्रकाश की कविताओं में अयोध्या के पुण्य स्मरण के साथ गौरैया की यादों में प्रकृति परिवेश के सुरक्षा की चिंता शामिल है।
इसी प्रकार जम्मू की कवयित्री नेहा कुमारी की कविता भगवान के स्मरण के साथ संसार के चिर कल्याण के भाव को सहजता से अपने भावों में समेटती है।
सुषमा खजूरिया की कविताएं बेटियों के जीवन की सुरक्षा और घर आंगन के अलावा माता- पिता के हृदय में उनके प्रति कायम होने वाली क्रूर उपेक्षा को कविता के कैनवास पर सवाल के रूप में उठाती है।
इस साहित्य संकलन में गीतिका सक्सेना की कहानी ” कुछ तो लोग कहेंगे” भी संकलित है और इसमें राजीव कुमार झा का तुलसीदासकृत रामचरितमानस के बारे में लिखा लेख भी शामिल है। इसके अलावा प्रसिद्ध फिल्म गीत लेखक संतोष आनंद के कुछ गीत भी इसमें संकलित हैं। संपादकीय टिप्पणी के रूप में इसमें उनके सिनेमा गीत लेखन में उनके योगदान का उल्लेख भी संक्षेप में किया गया है।
इसके एक अन्य लेख में देवेश कुमार पोद्दार ने बिहार के सुल्तानगंज के श्रावणी मेला की चर्चा को प्रस्तुत किया है।
इस साहित्य संकलन में अरुण सिन्हा की ग़ज़लों के अलावा सन्नी कुमार, डॉ मनीष कुमार चौरसिया, राजेन्द्र प्रसाद मोदी, अंजनी कुमार सिन्हा, प्रतिभा रानी, शशि आनंद अलबेला के अलावा विजय कुमार और डॉ परशुराम गुप्ता के गीत ग़ज़ल भी पठनीय हैं।
डॉ पंकज कुमार बर्मन, शिवदत्त डोंगरे की कविताओं में प्रकृति और परिवेश के अलावा बदलते परिदृश्य में समाज की सुरक्षा का भाव कविता को जीवन चिंतन की ओर उन्मुख करता है।
इस साहित्य संकलन में राजलक्ष्मी शिवहरे की कविताएं भी पठनीय हैं और इनमें देश की सामाजिक – सांस्कृतिक चेतना का समावेश है। इसके अलावा उत्तराखंड में सुरंग निर्माण दुर्घटना पर आधारित अपनी कविता में कवयित्री ने सरकार के साथ मजदूरों के प्रति सारे देश के लोगों की आत्मीयता और संवेदना को कविता में प्रकट किया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button