लोकसभा चुनाव 2024 : तेजस्वी यादव पर अत्यधिक भरोसे के भाव ने राहुल गांधी की। चुनावी नैया को अंततः डुबो कर रख दिया!
मंतव्य
राजीव कुमार झा
बिहार में राजद के साथ कांग्रेस के बेमेल गठजोड़ ने लोक सभा चुनाव 2024 में कांग्रेस के सरकार गठन की कवायद को बेकार बना दिया और इससे आगामी संसद में राहुल गांधी के समर्थन में आने वाले सांसदों की संख्या में भी अप्रत्याशित कमी आ गई है। यूपी में अखिलेश यादव के साथ शानदार प्रदर्शन के बावजूद आज तेजस्वी जैसे झूठे
नेताओं की संगत से बर्बाद होनेवाले राहुल गांधी को इस चुनाव में अपनी असफलता और हार का दर्द आजीवन सालता रहेगा। भाजपा के साथ वर्तमान सरकार के गठन में नीतीश कुमार ने अगर राजद को बिहार में जनाधारहीन पार्टी बताया था और मुसलमानों पर भी भरोसा करने से अगर मना किया था तो उसके गहरे अर्थ अब सबको समझ में आ रहे हैं। राजद के यादव दलित और मुसलमान नेता अब बिहार में प्रभावहीन हो गए हैं और इसका कारण इनका स्वार्थ है । लालू यादव के बारे में ईडी के जांच से उजागर होने वाले निष्कर्षों ने भी राजद का बेड़ा गर्क करके रख दिया । लालू प्रसाद ने रेलवे की डी ग्रुप नौकरी में गांव के गरीब समुदाय के लोगों से पैसा लिया और उनकी जमीन हड़पी। तेजस्वी ने अपराधियों के साथ सांठगांठ करके चुनाव जीतने का सपना देखा जो लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों से चूर चूर हो गया है । अब यादव लालू तेजस्वी राबड़ी की जगह जदयू भाजपा में अपनी जाति के नेताओं के नेतृत्व पर ज्यादा भरोसा करते हैं। तेजप्रताप के द्वारा अपनी पत्नी के तिरस्कार से भी यादव नारियों ने राजद को वोट नहीं दिया। यादव महिलाएं बेहद समझदार होती हैं। राबड़ी देवी के बनावटी स्वार्थ संस्कार से वे नफरत करती हैं।
राबड़ी ने अपने पति को यादवों से झूठा प्रेम करना सिखाया और ऐसे ही दौड़ में नीतीश कुमार ने बिहार के सारे लोगों को एकसूत्रता की डोर में बांधा । दलितों को मुसलमानों की तरह से नीतीश के साथ बिहार के नवनिर्माण में जुटना चाहिए।