देश ,समाज, प्रकृति, परिवेश और जन-जीवन की छटा का कविता में सहज चित्रण।

साहित्य संसार
पुस्तक समीक्षा
ग्रीष्मावकाश
संपादक: राजीव कुमार झा
प्रकाशक: शॉपिजन.इन
अश्वमेघ एलिगेंस
अंबावाडी में बाजार, अहमदाबाद
गुजरात 380006
मोबाइल नंबर
9340526767

देश ,समाज, प्रकृति, परिवेश और जन-जीवन की छटा का
कविता में सहज चित्रण।

पिंकी कुमारी

प्रस्तुत काव्य संकलन में बिलासपुर की कवयित्री रश्मि लता मिश्र की कविताएं सबसे पहले पढ़ने को मिलती हैं और उनकी कविताओं में ईश्वर के प्रति हृदय की सच्ची प्रार्थना के अलावा धरती पर विभिन्न ऋतुओं की आवाजाही के बीच प्रकृति की सुंदरता का वर्णन है। इसके बाद उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में स्थित पूरनपुर की कवयित्री संगीता सिंघल विभु , वडोदरा की कवयित्री चंचालिका शर्मा और फरीदाबाद की कवयित्री डॉ सलोनी चावला की कविताएं संग्रहित हैं । अपनी काव्य संवेदना और अनुभूति में इनकी कविताएं जीवन में प्रेम के आत्मिक रंगों की विविध छटाओं को प्रस्तुत करती हैं। राजीव कुमार झा की कविताओं में देश , लोक और समाज – संस्कृति के जीवन संदर्भ आत्मा के पवित्र ताप से स्पंदित प्रतीत होते हैं और यहां कविता नगरों- शहरों में जीवन की आपाधापी से दूर ग्राम्य परिवेश की यादों में विस्तृत अनुभूतियों की आहट निरंतर रची बसी सृजन के जीवंत आयामों को उद्घाटित करती है। झारखंड के जमशेदपुर की कवयित्री आशा गुप्ता श्रेया की कविताओं में झारखंड के आदिवासी जनजीवन के प की सहज झांकी और यहां निवास
प्रस्तुत साहित्य संकलन में इसके बाद उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में स्थित पूरनपुर की कवयित्री संगीता सिंघल विभु , वडोदरा की कवयित्री चंचालिका शर्मा और फरीदाबाद की कवयित्री डॉ सलोनी चावला की कविताएं संग्रहित हैं । अपनी काव्य संवेदना और अनुभूति में इनकी कविताएं जीवन में प्रेम के आत्मिक रंगों की विविध छटाओं को प्रस्तुत करती हैं। राजीव कुमार झा की कविताओं में देश , लोक और समाज – संस्कृति के जीवन संदर्भ आत्मा के पवित्र ताप से स्पंदित प्रतीत होते हैं और यहां कविता नगरों- शहरों में जीवन की आपाधापी से दूर ग्राम्य परिवेश की यादों में विस्तृत अनुभूतियों की आहट में निरंतर रची बसी सृजन के जीवंत आयामों को उद्घाटित करती है। झारखंड के जमशेदपुर की कवयित्री आशा गुप्ता श्रेया की कविताओं में भगवान राम के प्रति कवयित्री के हृदय का पावन प्रेम प्रकट हुआ है और अन्य कविताओं में झारखंड के आदिवासी जनजीवन की झांकी के अलावा वर्षा ऋतु में धरती की सुंदरता और इसके सुख शांति के सुरम्य भावों का वर्णन है। ग्रीष्मावकाश में इसके अलावा और भी अन्य कवियों की कविताएं संकलित हैं। इन कवियों में पुणे की कवयित्री प्राची शुक्ला, डॉ पल्लवी सिंह अनुमेहा , लखनऊ के सुनील शर्मा,राजेश कुमार सोनार, संगीता सिंह बनाफर , चंद्रकिरण इंदु जैन इन लेखकों रचनाकारों की कविताएं भी संकलित हैं। इनमें राजेश कुमार सोनार की कविताओं में देश के सीमाओं की सुरक्षा में जुटे वीर सैनिकों के त्याग और बलिदान की भावना का सहज चित्रण है। पल्लवी सिंह अनुमेहा की कविताएं नारी मनप्राण के नैसर्गिक सौंदर्य की आहट से जीवन की अनुभूतियों को अपनी भाव भाषा में प्रकट करती हैं। कर्नाटक की कवयित्री संतोषी चोराडिया की कविता में
होली के उमंग और उल्लास का वर्णन है। इस प्रकार ग्रीष्मावकाश की तमाम कविताएं
पठनीय हैं और इनमें हमारे वर्तमान जीवन का चतुर्दिक यथार्थ कल्पना के धरातल पर प्रवाहित हुआ है।

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