पीला जोहड़: आस्था, प्रकृति और चमत्कार का अनूठा संगम !

पीलिया रोग से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध प्राकृतिक तालाब !

 

कोटपूतली-
कोटपूतली से छह किलोमीटर दूर ग्राम सांगटेडा में स्थित पीला जोहड़ न केवल एक प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल है, बल्कि यहां आस्था, प्राचीन परंपराएं और प्राकृतिक चमत्कार एक साथ देखने को मिलते हैं। इस पवित्र स्थल पर स्थित हनुमान जी का मंदिर 500-700 साल पुराना बताया जाता है, जो गांव की स्थापना से भी पहले का है। श्रद्धालुओं द्वारा यहां शिव परिवार, श्याम दरबार, दुर्गा माता, राधा-कृष्ण और शनि देव के मंदिर भी बनाए गए हैं जिससे यह क्षेत्र धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया है।

चमत्कारी तालाब से पीलिया रोग का उपचार—

पीला जोहड़ का सबसे बड़ा आकर्षण यहां का प्राकृतिक तालाब है जिसे पीलिया रोग से मुक्ति दिलाने वाले जल के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि इस तालाब में तीन बार स्नान करने से पीलिया रोग स्वतः ठीक हो जाता है। आयुर्वेद के अनुसार इस क्षेत्र की वनस्पतियों से जल में औषधीय गुण घुलकर इसे रोग निवारक बनाते हैं। दूर-दूर से लोग यहां आकर स्नान करते हैं और ठीक होने की उम्मीद से लौटते हैं।

आध्यात्मिकता और प्रकृति का मेल—

हनुमान मंदिर के आसपास का क्षेत्र प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। यहां जाल, कदंब, वटवृक्ष और बिल्वपत्र के पेड़ों की छांव भक्तों को शांति का अनुभव कराती है। मंदिर में शनिवार और मंगलवार को विशेष भीड़ रहती है, जबकि वैशाख बुदी पंचमी पर भव्य वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

अमृत सरोवर योजना का विकास और उपेक्षा—

कुछ वर्ष पहले अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत तत्कालीन सांसद कर्नल राज्यवर्धन राठौर ने जोहड़ के चारों ओर ट्रैक और बैठने की सुविधाएं विकसित कराईं। नगर परिषद ने यहां वृक्षारोपण अभियान भी चलाया, जिसमें बिल्वपत्र के पौधों पर विशेष ध्यान दिया गया। हालांकि उचित देखभाल के अभाव में ट्रैक पर कांटेदार झाड़ियां उग आई हैं और सीमेंटेड कुर्सियों की स्थिति भी खराब हो रही है जिससे श्रद्धालुओं को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

जीव-जंतुओं का संरक्षण और सेवा का भाव—

पीला जोहड़ का एक और आकर्षण यहां का वन्यजीव प्रेम है। तालाब के आसपास थलचर, नभचर और जलचर प्राणियों को संरक्षण मिलता है। पक्षियों के लिए दाना डालने के चबूतरे बने हैं जबकि गोवंश स्वतंत्र रूप से विचरण करता है। श्रद्धालु गुड़ और दलिया खिलाकर पुण्य अर्जित करते हैं। तालाब में मछलियों को आटे की गोलियां खिलाने की परंपरा भी वर्षों से चली आ रही है।

चमत्कारों से जुड़ी अनकही कहानियां—

स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार मंदिर और तालाब से जुड़े कई चमत्कारिक प्रसंगों का उल्लेख मिलता है। इनमें से एक मान्यता यह भी है कि मुगल सम्राट अकबर ने अपने भ्रमण के दौरान यहां विश्राम किया था। इन कहानियों ने इस स्थल को और अधिक पवित्र और आकर्षक बना दिया है।

संरक्षण की आवश्यकता—

पीला जोहड़ न केवल धार्मिक और प्राकृतिक धरोहर है बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान भी है। बेहतर रखरखाव के अभाव में इसकी स्थिति बिगड़ती जा रही है। स्थानीय प्रशासन और श्रद्धालुओं को मिलकर इसके संरक्षण और देखरेख की जिम्मेदारी उठानी चाहिए ताकि यह स्थान आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आस्था और शांति का केंद्र बना रहे।

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