गौरवशाली डाक विभाग
169 वर्ष 5 महीने और 12 दिन का इस विभाग का गौरवशाली इतिहास , 159227 डाक घरों का विशाल , विस्तृत एवं विश्वसनीये समूह , दिल्ली को 955 डाकघरों से सुसज्जित करता तथा इस दिल्ली प्रदेश का बहुत ही सुन्दर तथा कर्तव्यनिष्ट डाक मंडल , पश्चमी डाक मंडल के अनतर्गत आने वाला एक खुबसूरत एवं मनमोहक एवं अपने ग्राहकों के कार्यों को आजे रखने वाला डाक घर तिलक नगर , नई द्दिल्ली 110018 से मैं धर्मेन्द्र कुमार (apm) अपने आदर्श डाकपाल श्री प्रदीप भारती जी एवं प्रवर अधीक्षक श्री विरेन्द्र सिंह जी के कार्यों से अभिभूत हो कर आप सभी को प्रणाम करता हूँ तथा अपने द्वारा संकलित इस लेख के माध्यम से आप सभी को डाक विभाग की कर्त्वय्प्ररायण यात्रा की सुखद सैर कराना चाहता हूँ |
कोई भी संस्थान आम आदमी के जीवन के उतना करीब नहीं पहुँच सका है जितना डाकघर | इस डाकघर की पहुँच देश के हर राज्य के हर जिले के हर गाँव के हर व्यक्ति तक है , जिसके कारण इस देश के अन्य संसथान भी लोगों तक पहुँचने वाली कठिनाई की स्थिति में डाकघर की सेवा लेने में तत्परता दिखा रही है |
पहली बार भारतीय डाक घर को राष्टीय महत्व के एक अलग संगठन के रूप में स्वीकार किया गया और उसे 01-अक्तूबर 1854 को डाक महा निदेशक के सीधे नियंत्रण में सौंप दिया गया |इस तरह डाक विभाग इस वर्ष पहली अक्तूबर को अपने 170 वर्ष पूरे कर रहा है | 1854 में डाक और तार दोनों ही विभाग अस्तित्व में आये | प्रारंभ से ही ही दोनों विभाग जनकल्याण को ध्यान में रख कर चलाये गए | लाभ कमाना उद्देश्य नहीं था लेकिन 19 वी शताब्दी के उतरार्ध में सरकार ने फैसला लिया की विभाग को अपना खर्च निकल लेने चाहिए | उतना ही काफी होगा , और 20 वी सदी में भी यह क्रम बना रहा | डाकघर और तार विभाग के क्रियाकलापों में एक साथ विकास होता रहा |
भारतीय डाक सेवा का क्षेत्र चिट्ठियां बाँटने और संचार का कारगर साधन बने रहने तक ही सीमित नहीं है, आपको जानकर कर हैरानी हो सकती है की शुरुआती दिनों में डाक विभाग डाक बंगलों और सरायों के रख रखाव् भी करता था 1830 से लगभग 30 वर्षों से भी ज्यादा तक यह विभाग यात्रियों के लिए सड़क यात्रा को भी सुविधाजनक बनाते थे | कोई भी यात्री एक निश्चित राशी के अग्रिम भुगतान पर पालकी , नाव , घोड़े , घोड़ागाड़ी , और डाक ले जाने वाली गाड़ी में अपनी जगह आरक्षित करवा सकता था | वह यात्रा के समय रस्ते में पड़ने वाली डाक चौकियों में आराम भी कर सकता था , यही चौकियां बाद में डाक बँगला कहलायीं | 19 वी सदी के आखीर में प्लेग की माहामारी फैलने के दौरान डाक घरों को कुनैन की गोलियों के पैकेट बेचने का काम भी सौंपा गया था |
स्वतंत्रता संग्राम के कठिन दिनों में देश के साथ साथ डाक विभाग भी इसके असर से अछूता नहीं रहा | 1857 के बाद विभाग ने आगजनी और लूटमार का दौर देखा | एक उप डाकपाल और एक ओवरसियर की हत्या कर दी गई , एक रनर को घायल कर दिया गया और बिहार , उत्तर प्रदेश , उत्तर पश्चिम सीमांत राज्यों के कई डाक घरों को लुट लिया गया | उत्तर पश्चिम सीमांत राज्यों एवं अवध में सभी संचार लाइनों को बंद कर दिया गया था और हिंसा ख़त्म हो जाने के बाद भी वर्षों तक कई डाकघरों को दोबारा नहीं खोला जा सका |
पिछले कई वर्षों में डाक विभाग के कार्यों में तथा डाक वितरण के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास देखने को मिला है अब यह डाकिये द्वारा चिट्ठी बाँटने से स्पीड पोस्ट और स्पीड पोस्ट से ई-पोस्ट के युग में पहुँच गया है | पोस्ट कार्ड 1879 में चलाया गया जबकि वैल्यू पेबल पार्सल {vpp} , पार्सल एवं बिमा पार्सल 1977 में शुरू हुआ | तेज डाक वितरण के लिए पोस्टल इंडेक्स नंबर (पिनकोड} 1972 में प्रारंभ हुआ | तेजी से बदलते परिदृश्य और हालत को ध्यान में रख कर 1986 में स्पीड पोस्ट सेवा और 1994 में वी सेट के माध्यम से मनी आर्डर सेवा शुरू किया गया | हर एक परंपरिक समुदाय के लोक साहित्य में डाकिये का स्थान काफी ऊँचा है | भारत में प्राय: सभी क्षेत्रिये भाषाओँ में डाकिये की कहानियां और कवितायेँ मिल जाएँगी ! पुराने ज़माने में हरेक डाकिये को ढोल बजाने वाला मिलता था जो जंगली रास्तों से गुजरते समय डाकिये की सहायता करता था | रत घिरने के बाद खतरनाक रास्तों से गुजरते समय डाकिये के साथ दो मशालची और दो तीरंदाज भी चलते थे ! ऐसे कई किस्से मिलते है जिनमें डाकिये को शेर उठा ले गया य वह उफनती नदी में डूब गया य उसे जहरीले सांप ने काट लिया या वह चट्टान फिसलने य मिटटी गिरने से दब दब गया या चोरों ने उसकी हत्या कर दी | लेकिन इतना सब कठिनाई झेलने के बाद भी हमारे डाक विभाग के डाकिये राष्ट सेवा के लिए हमेशा ही तत्पर रहे और विभाग का मान बढाया |
डाक घर ने राष्ट को परस्पर जोड़ने , आर्थिक विकास में सहायोग करने और विचार और सूचना के आबाद प्रवाह में हमेशा ही मदद की है | डाक वितरण में पैदल से घोड़ा गाड़ी द्वारा फिर रेल मार्ग से,वाहनों से लेकर हवाई जहाज तक विकास हुआ है | पिछले कई वर्षों में डाक लाने लेजाने के तरीकों और परिमाण तथा परिणाम में बदलाव आया है | आज डाक यंत्रीकरण और स्वचालन पर जोर दिया जा रहा है | आज के परिपेक्ष्य में डाक विभाग ने डाक वितरण के अलावा बैंकिंग के क्षेत्र में भी अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया है , तथा अन्य बैंकों के साथ साथ इस आर्थिक प्रतियोगिता में भी आगे निकल चूका है } मानव कल्याण एवं राष्ट्र के आर्थिक विकास के लिए डाक विभाग जनता के द्वार पर स्वत: पहुँच कर अपनी सेवाओं को प्रदान कर रहा है | अपने डाक विभाग को और भी आगे , और भी प्रगति के राह में आगे ले जाने के लिए भारतीय डाक विभाग ने अपने ऐतिहासिक प्रयास के तहत दक्षिणी ध्रुव के पास बर्फीले महाद्वीप अंटार्टिका में अपना तीसरा डाकघर खोला है |
हमारा भरोसेमंद डाक व्यवस्था आधुनिक सूचना व वितरण ढांचे का अहम अंग है | इसके अलावा यह आर्थिक विकास और गरीबी कम करने में एक महत्वपूर्ण साधन है |
संकलनकर्ता
धर्मेन्द्र कुमार
तिलक नगर , डाकघर ,नई दिल्ली 110018