भाषा हमारी सांस्कृतिक विरासत, कला, साहित्य और इतिहास का प्रतीक
अपनी भाषा में अध्ययन-अध्यापन विकास के नए अवसर पैदा करता है
-भाषा आपके अस्तित्व का परिचायक, गर्व के साथ अपनी भाषा में करे अनुसंधान
-सीएसजेएमयू में भाषा सम्मेलन में देश भर से सम्मिलित हुए विशेषज्ञ
-भारतीय भाषा सम्मेलन में मातृभाषा की स्थिति पर किया गया मंथन
-सीएसजेएमयू के स्कूल आफ लैग्वेजेज द्वारा आयोजित हुआ सेमिनार
अजीत चौबे
कानपुर । छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज द्वारा भारतीय भाषा समिति भारत सरकार और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास समिति के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय भाषा सम्मेलन का आयोजन किया गया।
सम्मेलन का शुभारंभ माननीय कुलपति प्रो0 विनय कुमार पाठक ने किया। उन्होंने कहा कि विकास की पहले पायदान पर मां और मातृभाषा ही रोडमैप बनाने का कार्य करते है। यह महज शब्दों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, विरासत और पहचान का प्रतीक है। एआई के युग में भी मातृभाषा की महत्ता सहज ही देखी जा सकती है। तकनीकी के उद्गम में अब क्षेत्रीय भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका हो चली है। क्षेत्रीय भाषा न सिर्फ हमारे विकास का पथ प्रदर्शक होती हैं, बल्कि हमारी आजीविका का भी साधन बनती जा रही है।
प्रति कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी ने कहा कि मातृभाषा की प्रासंगिकता हमेशा से रही है। इसे विमर्श के बिन्दु पर लाने की जरूरत है। मातृभाषा न सिर्फ गौरव के लिए होनी चाहिये, बल्कि इसे रोजगार के लिए भी मुफीद बनाना होगा।
काशी हिन्दी विश्वविद्यालय के प्रो. राम नरायन द्विवेदी ने कहा कि क्षेत्रीय भाषाएं हमारी संस्कृति को संजोकर रखी है। ये हमारे गौरवपूर्ण अतीत को संजोकर रखी हुई है। इसे हमें प्रमुखता से मानस पटल पर लाने की आवश्यकता है।
मुख्य वक्ता प्रो. श्रवण कुमार शर्मा ने कहा कि हमारी भाषाएं ही हमारा भविष्य तय करती हैं। बेहतर भविष्य को मातृभाषा के माध्यम से संवारा जा सकता है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास समिति के क्षेत्रीय संयोजक जगराम सिंह ने कहा कि हमें अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिये। जब हमारी नींव मजबूत होगी तो हम भी मजबूत होंगे। इसलिए हमें अपनी भाषाओं को सुदृढ़ करना चाहिये, जिससे हमारी भावनाएं जुड़ी होती है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य न केवल हिन्दी बल्कि अन्य स्थानीय भाषाओं जैसे अवधी, भोजपुरी और अन्य स्थानीय भाषाओं का प्रचार-प्रसार करने का था।
सम्मेलन को संयुक्त पुलिस आयुक्त आर.एस. गौतम, विशिष्ट अतिथि प्रतिकुलपति इग्नू प्रो. सुमित्रा कुकरेती, प्रोफेसर गीता नायक, दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रो. प्रवीण तिवारी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डॉ. पतंजलि मिश्र, डीएवी कॉलेज से प्रो. रेनू दीक्षित, प्रो. नीरू टंडन, प्रो. प्रदीप दीक्षित, प्रो0 बी.डी. पाण्डेय एवं डॉ0 निवेदिता टंडन ने भी संबोधित किया। सम्मेलन के दूसरे सत्र में शोध छात्रों द्वारा विभिन्न शोध पत्र भी पढ़े गये। इस अवसर पर पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के सहायक आचार्य डॉ. ओम शंकर गुप्ता द्वारा लिखित पुस्तक भारत के पद्मवीर का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन स्कूल आफ लैग्वेजेज के सह आचार्य डॉ. सर्वेश मणि त्रिपाठी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन स्कूल आफ लैग्वेजेज के निदेशक डॉ. अंकित त्रिवेदी ने दिया। इस अवसर पर डॉ0 विकास यादव, डॉ. ऋचा वर्मा, डॉ0 सुमना विश्वास, डॉ. प्रभात गौरव मिश्र, डॉ. पूजा अग्रवाल, डॉ. लक्ष्मण कुमार, सुश्री शालिनी शुक्ला, डॉ0 ऋचा शुक्ला और डॉ. सोनाली मौर्य आदि शिक्षक गणों समेत अन्य छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही।