संयुक्त राष्ट्र में ‘सहकारी जिंस बाजार’ गठित करने का प्रस्ताव
न्यूयॉर्क , 26 सितम्बर, 2024: ग्रामीण स्वयंसेवी संस्थाओं के lपरिसंघ’ (सीएनआरआई) के महासचिव श्री बिनोद आनंद ने वैश्विक शासन नीतियों को समयानुसार ढालने के लिए अंतःविषयी और बहुक्षेत्रीय दृष्टि अपनाने का आव्हान किया, और इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए ‘सहकारी जिंस बाजार’ (कोआपरेटिव कमोडिटी एक्सचेंज) बनाने का विचार रखा है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में आयोजित ‘भविष्योन्मुख बैठक’ (‘सम्मिट ऑफ दि फ्यूचर’) नामक कार्यक्रम में अपने मुख्य भाषण में श्री बिनोद आनंद ने कहा, “विभिन्न देशों, खासकर ‘वैश्विक दक्षिणी क्षेत्र’ (ग्लोबल साउथ), में सहकारी स्वरुप (कोप-ईको-फ्रेमवर्क) में जिंस बाजारों का नेटवर्क खड़ा करने के साथ-साथ सरकारी और निजी क्षेत्र के सहयोग से सहकारी आर्थिक जोन (कोआपरेटिव इकोनॉमिक जोन) बनाने से बेहद मजबूत वैल्यू चेन का निर्माण होगा।“
“इस भविष्योन्मुख साझेदारी के लाभ को जमीनी स्तर पर ले जाने के लिए वित्तीय क्षेत्र, शिक्षा तंत्र, अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठन, अध्ययन केंद्र संघ और अन्य संबंधित हितधारक मिलकर इसका फ्रेमवर्क बनाकर स्थानीय स्तर पर लाखों नौकरियां पैदा कर सकते हैं,” श्री आनंद ने आगे कहा।
आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि सहकारिता के नेतृत्व में अनुकूल एवं लचीला फ्रेमवर्क बनाने के लिए विश्व बैंक और आईएमएफ जैसे वैश्विक संस्थानों को अपनी नीतियों में यथोचित बदलाव करना चाहिए, और आवश्यक ढांचागत सुधार, अच्छी नियामक प्रथाओं के माध्यम से आर्थिक एवं तकनीकी सहयोग की सघनता, अनुभव के आदान-प्रदान और टिकाऊ एवं समावेशी विकास हेतु सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं के जरिए बिजनेस के लिए वातारण विकसित करना चाहिए। सहकारी आर्थिक फ्रेमवर्क के जरिए वातावरण को अनुकूल बनाने से मजबूत और गुणवत्तापूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर, फाइनेंसिंग और निवेश का निर्माण होगा, जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार (इनोवेशन) और डिजिटलाइजेशन को प्रोत्साहन देगा।
बदलती भूराजनैतिक व्यवस्था के प्रकाश में बहुपक्षीय मंचों में भारत की वैश्विक नेतृत्वकर्ता की भूमिका के मद्देनजर बिजनेस को अधिक विकेन्द्रीकृत तरीके से आगे बढ़ना चाहिए।
“असमानता दूर करने और स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तरों पर भिन्न समाजों के बीच शांति स्थापित करने के लिए भारतीय सहकारी फ्रेमवर्क रास्ता दिखाएगा। यह सिर्फ कॉर्पोरेट विजन से संभव नहीं है, अपितु सहकारी संगठनों और सरकारी एवं निजी क्षेत्रों के बीच साझेदारी टिकाऊ और सभी के लिए अच्छा आर्थिक वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम होगी,” उन्होंने कहा।
राष्ट्रों के मध्य विश्वास की कमी को दूर करने के लिए उन्होंने बुद्ध की शिक्षाओं की वकालत की और वैश्विक नेताओं की उपस्थित में बुद्ध के करुणा, सुबोध और अहिंसा के रास्ते पर चलने का आव्हान किया, जो कि राष्ट्रों के मध्य विश्वास और सहयोग स्थापित करने के लिए आवश्यक सिद्धांत हैं। इन जीवन-मूल्यों के बल पर राष्ट्र मिलकर जलवायु परिवर्तन, गरीबी और असमानता जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं।
‘ग्रामीण स्वयंसेवी संस्थाओं के परिसंघ’ (कन्फेडरेशन ऑफ एनजीओज ऑफ रूरल इंडिया – सीएनआरआई) के बारे में:
ग्रामीण विकास मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ रूरल डेवलपमेंट – एमओआरडी) द्वारा वर्ष 2005 में स्थापित ‘ग्रामीण स्वयंसेवी संस्थाओं का परिसंघ’ (सीएनआरआई) ग्रामीण भारत के सामाजिक-आर्थिक रूपांतरण के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण संगठन है। इसे संयुक्त राष्ट्र की संस्था संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (ईसीओएसओसी) का विशेष सलाहकार होने का गौरव भी प्राप्त है।