अचलगंज में बरकरार दबंग लाल सिंह का आतंक, चेयरमैन पति राजीव वर्मा को दी हत्या की धमकी
- लिखित शिकायत कर एस पी से की गई मुकदमा दर्ज करने के साथ सुरक्षा की भी मांग
– अचलगंज क्षेत्र में वर्चस्व बढ़ने के लिए दबंग लाल सिंह पहले भी दे चुका है हत्या जैसी कई घटनाओं को अंजाम
– हत्या और कातिलाना हमले की 95% घटनाओं की वजह दबंगई और वर्चस्व की लड़ाई
सुनील बाजपेई
कानपुर। असलहे धारी अपने लोगों की टीम के साथ वह जिस भी रास्ते से गुजरता है ,लोग रास्ता छोड़कर उसके सम्मान नहीं भय की वजह से सिर झुका लेते हैं। और जो भी ऐसा नहीं करता तो सरेआम बेइज्जती और उसके साथ मारपीट भी तय हैं। …और अगर उसके बाद भी उसने उसकी बात नहीं मानी और सिर नहीं झुकाया फिर वह जिंदा भी नहीं रह सकता। किसी न किसी तरह से उसे मौत के घाट उतार ही दिया जाएगा।
यहां बात हो रही है ,उन्नाव अचलगंज क्षेत्र के चर्चित दबंग अपराधी बताए जाने वाले भैसई नौबस्ता गांव निवासी लाल सिंह और उसके साथियों की।
जहां तक पुलिस का सवाल है। दबंग लाल सिंह और उसके साथियों को पुलिस या कानून का कोई भय नहीं है ,क्योंकि उसे पता है कि पुलिस को किस नेता के माध्यम से या फिर किन हथकंडों से अपने पक्ष में करना है। …और फिर पुलिस वही करती है , जो वह चाहता है। मतलब किसी न किसी तरीके से पुलिस कानून के शिकंजे में फंसने से उसे बचा ही लेती है। चूंकि कानून और शांति व्यवस्था के खिलाफ इस अप्रिय सत्य की जानकारी सभी को हो चुकी है। इसलिए कोई भी भैसई नौबस्ता गांव निवासी दबंगई और गुंडई के पर्याय बताए जाने वाले लाल सिंह और उनके साथियों के खिलाफ प्रार्थना पत्र तक देने का साहस नहीं करता। और जो करता है उसके पक्ष में उसका परिणाम अक्सर प्राण घातक ही साबित होता है। कई साल पहले कुछ लोगों ने उसके खिलाफ शिकायत और उसकी गुंडागर्दी का विरोध करने का का दुस्सास किया था, जिसका परिणाम वही हुआ, जिसकी आशंका थी। मतलब लाल सिंह की दबंगई और गुंड़ई का विरोध करने वाले उसके द्वारा हत्या का शिकार होने से नहीं बच सके और इसी क्रम में अपने वर्चस्व और आतंक को लोगों के बीच और ज्यादा बढ़ाने के लिए जिस एक और हत्या की प्रबल संभावना है। इसके लिए उन्नाव के अचलगंज नगर पंचायत की चेयरमैन के पति और प्रतिनिधि राजीव वर्मा को चुने जाने का दावा दबंग लाल सिंह के ही नजदीकी लोगों ने भरोसेमंद सूत्रों से किया है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए दबंग लाल सिंह को जिस मौके की तलाश थी वह उसे तब मिला दही थानाक्षेत्र स्थित सेलिब्रेशन गेस्ट हाउस में एक वैवाहिक कार्यक्रम में तब मिला, जिसमें नगर पंचायत अचलगंज की चेयरमैन के पति व राजनीतिक व्यक्ति राजीव वर्मा भी अपने मित्र सभासद प्रतिनिधि विष्णु सोनी के साथ शामिल होने आये थे। अक्सर दबंग लाल सिंह के साथ चलने वाले एक बहुत नजदीकी व्यक्ति ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि अचलगंज क्षेत्र के प्रभावशाली माने जाने वाले लगभग सभी लोग लाल सिंह की दबंगई के आगे नतमस्तक हो चुके हैं। अब केवल नगर पंचायत अचलगंज की चेयरमैन के पति व राजीव वर्मा ही बचे हैं।
दबंग लाल सिंह के इस नजदीकी व्यक्ति के मुताबिक राजीव वर्मा अगर अचलगंज नगर पंचायत की अध्यक्ष के पति नहीं होते। राजनीति में सक्रिय नहीं होते , सरल और शालीन स्वभाव के तेजतर्रार व्यवहार कुशल नहीं होते और हर किसी के सुख दुख में सदैव खड़े होने के फलस्वरूप वह आम जनता के बीच लोकप्रिय नहीं होते तो शायद दबंग लाल सिंह राजीव वर्मा को बख्श भी देता लेकिन अब दबंग लाल सिंह और उसके साथियों के पास कोई रास्ता नहीं बचा है। इसीलिए उसने योजना के मुताबिक इस बार राजीव वर्मा को जान से मारने की केवल धमकी दी है और अगर इतने पर भी नहीं माने तो फिर उन्हें असमय हत्या का शिकार होने से कोई नहीं बचा सकता। क्योंकि दबंग लाल सिंह अपने वर्चस्व को स्थापित रखने के लिए नगर पंचायत अचलगंज की चेयरमैन के पति व राजनीतिक व्यक्ति राजीव वर्मा की हत्या को आवश्यक समझता है।
दरअसल दबंग लाल सिंह ऐसा पहली बार नहीं करेगा। उसके नजदीकी सूत्र इस बारे में जिस आशय की जानकारी देते हैं। उसके मुताबिक दबंग लाल सिंह इसके पहले भी हत्या जैसी घटनाओं को अंजाम न केवल खुद दे चुका है ,बल्कि कई घटनाओं को भाड़े के हत्यारों से अंजाम दिलवा भी चुका है। इनमें से अधिकांश घटनाओं में वह अपने को कानून के शिकंजे से बचाने में भी सफल रहा। लाल सिंह की दबंगई से जनित वर्चस्व में इजाफा होने का प्रमुख कारण भी यही माना जाता है।
इसी संदर्भ में खास बात यह भी कि उन्नाव जिले में 95 प्रतिशत हत्याओं और कातिलाना हमलों आदि का असली कारण गुंडई ,दबंगई
और वर्चस्व की लड़ाई ही होती है। यद्यपि चेयर मैन पति राजीव वर्मा ने इस मामले में उन्नाव के पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र देकर मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई करने के साथ ही सुरक्षा की भी मांग की है। लेकिन इस पर दबंग लाल सिंह के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई होने वाली नहीं। जिससे बढ़ा हुआ दबंग लाल सिंह और उसके साथियों का मनोबल राजीव वर्मा की हत्या जैसी घटना को भी अंजाम दिलवा सकता है। जिसमें उनकी राजनीतिक विरोधियों की भी मिली भगत से साफ इनकार नहीं किया जा सकता।
कुल मिलाकर अगर ऐसा कुछ होता है तो इस मामले में किसी बड़े अधिकारी को कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि हत्या जैसे संगीन अपराध के घटित होने के बाद भी जिला स्तर के किसी बड़े अधिकारी को आमतौर पर दोषी नहीं माना जाता। इस केवल थाने या चौकी स्तर के अधिकारी को ही माना जाता है। उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है। लेकिन उन्हें भी इस कार्रवाई की कोई खास चिंता नहीं होती। क्योंकि मरने वाला उनका अपना नहीं होता है।
इसी के साथ सच यह भी है कि लापरवाही और हीला हवाली या फिर सांठगांठ से ही भले ही कोई हत्या के रूप में अपनी जान से हाथ धो बैठे लेकिन थानाध्यक्ष, इंस्पेक्टर या चौकी प्रभारी आदि को यह भली भांति पता होता है कि अगर बड़े अधिकारियों ने अपने बचाव के लिए लोगों को संतुष्ट करने के लिए लाइन हाजिरी और निलंबन की कार्रवाई की तो मात्र कुछ महीने के बाद उन्हें फिर चार्ज मिल मिल जायेगा है। अंततः सवाल यही कि नगर पंचायत अचलगंज की चेयरमैन के पति व सक्रिय राजनीति में अपनी व्यवहार कुशलता के चलते आम जनता के बीच लोकप्रिय राजीव वर्मा दबंग लाल सिंह से अपनी जान बचा पाएगा अथवा मारा जाएगा। यह आने वाला वक्त ही बताएगा।