अबकी बार 400 पार की सरकार 99 के चक्कर में फसी..
रिपोर्ट
अजित चौबे “भृगुवशी”
बिहार , बक्सर , बाढ़, ब्राम्हण और वर्चस्व की लड़ाई के साथ बगावती तेवर का खामियाज़ा बीजेपी को भुगतना न पड़े … बात बक्सर लोकसभा सीट की जहाँ पे बीजेपी के नाम का वोट अटल जी और मोदी जी के चेहरे को देख कर किया जाता रहा, चाहे लालमुन्नी चौबे का दौर रहा या अश्वनी चौबे का , पुरे बीस साल का इंतज़ार रहा , और उम्मीद जगी क्योकि मोदी जी ने लोकल पे वोकल का नारा दिया, और मासूम जनता ने इसे अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि को २०२४ की लोकसभा चुनाव से जोड़ कर देखा , उम्मीद एहि थी की इस बार पूर्व संसद अश्वनी चौबे जी को बीजेपी के द्वारा टिकट नहीं दिया जाएगा और ऐसा हुआ भी मगर जनता को बार फिर मायूस होना पड़ा क्योकि भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से बक्सर के बाहर रहने वाले मिथलेश तिवारी को अपना उमीदवार बनाया … ये आसान भी हो सकता था, अगर आईपीएस आनंद मिश्रा इस रेस में शामिल न होते , क्योकि अगर बात ईमानदारी और कर्मठता की जाए तो आईपीएस आनंद मिश्रा किसी पहचान के मोहताज़ नहीं , असम जैसे क्षेत्र में इनकी जितनी फैन फोल्लोविंग है, ये साबित करता है अगर बक्सर का विकास पुरुष कोई हो सकता है , तो शायद आनंद मिश्रा ऐसा सिर्फ मेरा व्यक्तिगत विचार ही नहीं बल्कि उस क्षेत्र की जनता को उम्मीद है, और इसी उम्मीद के साथ बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर भी आनंद मिश्रा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया . ये कितना सही होगा ये तो आने वाला वक़्त ही बातएगा, अबकी बार चार सौ पार का नारा कितना बुलंद होगा , बक्सर की जनता पे भी निर्भर रहेगा क्योकि ये लड़ाई सिर्फ सीट को लेकर नहीं बल्कि प्रभु श्री राम चंद्र की कर्मभूमि के अस्तित्व की भी लड़ाई है , जो हमेशा से उपेक्षित रहा …