2030 तक भारत के ईवी बैटरी रीसाइक्लिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को आगे बढ़ाने के लिए नीतिगत सुधारों की जरूरत*

– *BharatGAIN ने अपनी रिपोर्ट में इसकी महत्वपूर्ण आवश्यकता पर दिया है जोर*
– *2030 तक भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में 49% की सालाना वृद्धि का अनुमान*

*नई दिल्ली, 17 अक्टूबर, 2024 :* 2030 तक भारत में ईवी बैटरी रीसाइक्लिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को आगे बढ़ाने के लिए नीतिगत सुधारों की आवश्‍यकता है, क्‍योंकि 2030 तक भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में 49% की सालाना वृद्धि का अनुमान है। दिल्‍ली की रिसर्च ऑरगेनाइजेशन *BharatGAIN” द्वारा जारी “भारत के इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी रीसाइक्लिंग इकोसिस्टम में अंतराल का आकलन।” (“Assessing Gaps in India’s Electric Vehicle Battery Recycling Ecosystem.”) विषय पर जारी अपनी रिपोर्ट में इस बात की आवश्‍यकता पर जोर दिया है।

सरकार ने 2030 तक 30% निजी कारों, 70% वाणिज्यिक वाहनों और 80% दुपहिया और तीन-पहिया वाहनों की बिक्री करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन बैटरी रीसाइक्लिंग पारिस्थितिकी तंत्र में जिस तरह असंतुलन बना है, वह मुख्य चुनौती का कारण है, लिहाजा सरकार को लिथियम-आयन बैटरी में वृद्धि को प्रबंधित करने के लिए भी एक मजबूत रीसाइक्लिंग इकोसिस्टम को बढ़ाने पर जोर देना होगा। यह भारत में 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में 49% की गति से होने वाली वृद्धि के अत्यंत आवश्यक है।

*वित्‍तीय प्रोत्‍साहन बढ़ाना जरूरी*
*BharatGAIN* की रिपोर्ट में भारत को पुनर्नवीनीकृत लिथियम-आयन बैटरियों का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए वित्‍तीय प्रोत्‍साहन बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है, क्‍योंकि इस क्षेत्र के लिए अविकसित बुनियादी ढांचा और ढांचागत व्‍यवस्‍था स्थापित करने की उच्च लागत मुख्‍य बाधा है, इसीलिए बैटरी डिज़ाइन के मानकीकरण के लिए बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम (BWMR) में संशोधन और पुनर्नवीनीकरण निवेश को बढ़ावा देने के लिए यह वित्तीय प्रोत्साहन आवश्‍यक है। वहीं, सरकारी और निजी उद्योगों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के साथ ही कुशल कार्यबल को बढ़ावा देना भी उतना ही आवश्‍यक है।

*BharatGAIN की निदेशक सुश्री गौरी दत्ता ने कहा, “भारत में ईवी की वृद्धि आशाजनक है, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर हमारा कदम तभी सफल हो सकता है, जब हम इसकी व्‍यापक क्षमता को समझें और उस दिशा में कार्य करें। उन्‍होंने कहा, लिथियम-आयन बैटरी के लिए एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था विकसित करना न केवल आयात पर हमारी निर्भरता को कम करने के लिए बल्कि हमारे नेट-ज़ीरो लक्ष्यों के अनुरूप एक सुनहरा भविष्य बनाने के लिए भी आवश्यक है।

*10 मिलियन प्रत्‍यक्ष और 50 मिलियन अप्रत्‍यक्ष रोजगार की उम्‍मीद*

ईवी क्षेत्र रोजगार के दृष्टिकोण से भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक ईवी क्षेत्र से लगभग 10 मिलियन प्रत्‍यक्ष और 50 मिलियन अप्रत्‍यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्‍मीद है,  जो एक स्‍थायी बैटरी रीसाइक्लिंग बुनियादी ढांचे के माध्‍यम से महत्‍वपूर्ण आर्थिक विकास को अनलॉक करने की भारत की क्षमता को दर्शाता है, लेकिन रीसाइक्लिंग प्‍लांट स्‍थापित करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत है, जो लगभग 220 से 370 करोड़ रुपए है।

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